यूँ शहादत को किसी की तुम मज़हबों से न देखो यारो,
सर कटे थे कई, इक आजादी पाने के लिये|
किसी ने अपनों को था गवाया,
तो कोई जीता रहा ज़िंदगी किसी के इंतज़ार में,
घर जले थे कई, इक नया आशियाँ बनाने के लिये|
थी चूमी हँस के फांसी किसी ने,
तो किसी ने मौत को था ख़ुद से गले लगाया,
दी शहादत वतन के वास्ते, ये खुला आसमां पाने के लिये|
कोई जा कर के अब ये उनसे कह दो, जो सियासी चाल चलते हैं,
कभी हिंदू, कभी मुस्लिम, कभी सिखों की बात करते है,
समंदर में सफ़र करने वाले कभी तूफानों से नहीं डरा करते,
वतन पर जां नौछावर करने वाले कभी मज़हब की बात नहीं किया करते|
Awesome man
Awesome lyrics… What a thought..
Jai Hind ….. awesome lines#
Wah kya baat Hai… Bahut khoob