”हो हर दुआ कबूल तेरी, रहमत खुदा की तेरे ऊपर बनी रहे,
है इतनी सी इबादत ये मेरी रब से, तू जहां रहे महफ़ूज रहे|”
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”हो हर दुआ कबूल तेरी, रहमत खुदा की तेरे ऊपर बनी रहे,
है इतनी सी इबादत ये मेरी रब से, तू जहां रहे महफ़ूज रहे|”
जख़्म इतने दे मुझे कि दर्द भी रुकने का नाम ना ले,
हर साँस मेरी बन जाये ज़हर कि दवा भी काम ना दे|
तेरी तस्वीर मुझे दिखती रहे अब हर जर्रे में,
मैं इस क़दर सहूँ सितम कि मौत भी आराम ना दे|
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तूने जाकर अंधेरे मे सब को है रौशनी दिखाई, अब तो मंजिल हमे खुद के पास नज़र आ रही है. गिरा के खुद को तूने सबको है चलना सिखाया, राहें अब चाँद की हमको साफ़ नज़र आ रही है. नहीं डगमगाया हमारा जूनू कुछ कर गुजरने का, तेरी क़ुरबानी...
यू मेरा ज़िक्र तुम अपनी बातों मे ना किया करो,
वक़्त का ऐतबार नहीं, ना जाने कब बातों ही बातों मे तुमको मुझसे प्यार हो जाये.
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