दर्द इतना भी ना था मुझे, फिर भी उसकी आँखों से आसूं निकल गये,
वो रात भर जागती रही मुझको सुलाने के वास्ते…
जख्म इतने भी गहरे ना थे की वो भर न सके,
वो फिर भी मरहम लगाती रही मुझको सुकून दिलाने के वास्ते….
करती रही वो हवा रात भर अपने पल्लू को हिला कर,
वो चूमती रही माथा मेरा प्यार अपना जताने के वास्ते …
दिये बुझने नहीं दिये उसने मंदिर के कभी,
वो रब को मानती रही बस मेरी खैरियत पाने के वास्ते…
दर्द उसको भी है मगर वो कभी जताती नहीं,
वो छुपा लेती है अपने आसूं मुझको हँसाने के वास्ते…
ये बोल करके की मुझको आज भूख नहीं,
ये बोल करके की मुझको आज भूख नहीं,
माँ खुद सो जाती है भूखी मुझको खाना खिलाने के वास्ते…
I love the lyrics. Very nice
lines touching to the heart
Lines👌
Awesome, so lovely