आज खोली किताब जो पुरानी तो तेरा ख्याल आया,
कुछ पन्ने ही पलटे थे की उसमे से गुलाब पाया,
हर पत्ती आज भी वही महक दे रही है मुझको,
मैंने छुआ जो उंगलियों से तो तेरा अहसास पाया,
इक तस्वीर भी दबी थी सूखे पत्तों के नीचे,
मैंने फूक जो मारी तो तेरा चेहरा नज़र आया,
यें आँखे,आज भी कर रही है बया राज़ हाल-ए-दिल का,
आज भी मुझको तेरे चेहरे पर वो नूर नज़र आया,
कभी देख कर मुझको जो शरमा जाती थी तेरी नज़रें,
आज नज़रे मिला कर देखी तो खुद का चेहरा नज़र आया,
सिल जाते थे जो होठ तेरे मुझसे कुछ कहने से पहले,
आज उन लबों से मैंने इजहारे मोह्बत है करवाया,
कैद कर के रखीं हैं मैंने वो यादें कई सुहानी सी,
आज फिर से देखा उनको तो दिल को सकून आया.
आज फिर से देखा उनको तो दिल को सकून आया.
Wah ji wah paaji chhha gaye guruu
Shukriya…
Your poetry is heart touching. Too good.
Kyaa baat hai awsome…. Heart touching