ये जो सिली सिली सी इक हवा आई है
ऐसा लगता है जैसे उसको मेरी याद आई है
ज़ख़्म उसके भी हरे हो गयें होंगे शायद
मेरे लबों पर जो उसकी बेवफ़ाई की बात आई है
कही सहराओं में बैठ कर वो तन्हाई ना ढूंढ रहा हो
मुझको खामोशियों में से इक दर्द की आवाज आई है
जल रहा हूं मै इस बरसात मे कोयले की तरहै
आज फिर आइने मे मुझे उसकी तस्वीर नज़र आई है
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